1. में एक श्रम प्रक्रिया नहीं रह जाती । 2. हर श्रम प्रक्रिया में कल्पना का तत्व अवश्य रहता है। 3. मंडी से मुनाफा बिलकुल नहीं आता, बल्कि श्रम प्रक्रिया से आता है. 4. इस लिए सामाजिक श्रम प्रक्रिया , परोक्ष रूप से, विनिमय के द्वारा तालमेल बिठाती है. 5. और ये सभी जिन्सें मंडी विनिमय द्वारा संयोजित सामाजिक श्रम प्रक्रिया की महज रूप हैं. 6. श्रम प्रक्रिया की इस विशिष्टता के चलते कार्मिक अत्यंत दबाव और बदहाल स्थितियों में काम करते हैं।7. खुले बाजार ने महिलाओं को भी श्रम प्रक्रिया का हिस्सा बनाया और उनकी पुरूषों पर निर्भरता को चुनौती दी। 8. श्रम के उत्पादों को मंडी-मूल्य प्रदान कर दिए जाते हैं और इन मूल्यों में उतार-चढ़ाव से सामाजिक श्रम प्रक्रिया संयोजित होती है. 9. उनके लिये लोक वह क्रियाशील सामूहिक जीवन है जो अपने श्रम प्रक्रिया में आज भी मानवीय भावसत्ता को बचाए हुये है । 10. उनके लिये लोक वह क्रियाशील सामूहिक जीवन है जो अपने श्रम प्रक्रिया में आज भी मानवीय भावसत्ता को बचाए हुये है ।